वर्तमान समय में भारत में इनकम टैक्स के स्लैब्स में कई बदलाव हुए हैं, जिससे एक नई कर व्यवस्था लागू की गई है। इसमें खास ध्यान मिडिल क्लास को टैक्स राहत देने पर दिया गया है, ताकि उनकी क्रय शक्ति बढ़ सके और आम आदमी को वित्तीय रूप से राहत मिल सके। खासतौर पर, 12 लाख रुपये तक की आय पर टैक्स में छूट के फैसले ने लोगों के बीच कई सवाल पैदा कर दिए हैं, जैसे “जब 12 लाख रुपये तक की कमाई पर टैक्स नहीं लगता, तो फिर 4-8 लाख पर 5% टैक्स क्यों लगाया जा रहा है?” आइए, इस सवाल का विस्तार से जवाब समझते हैं।
नई इनकम टैक्स स्लैब्स की जानकारी
भारत सरकार ने वित्तीय वर्ष 2025 के लिए नए इनकम टैक्स स्लैब्स की घोषणा की है, जो इस प्रकार हैं:
- 0-4 लाख रुपये: कोई टैक्स नहीं
- 4-8 लाख रुपये: 5% टैक्स
- 8-12 लाख रुपये: 10% टैक्स
- 12-16 लाख रुपये: 15% टैक्स
- 16-20 लाख रुपये: 20% टैक्स
- 20-24 लाख रुपये: 25% टैक्स
- 24 लाख रुपये से अधिक: 30% टैक्स
ये स्लैब्स साफ तौर पर दर्शाते हैं कि आय के अनुसार कर दरें निर्धारित की गई हैं। हालांकि, यह भी ध्यान में रखने योग्य है कि इन स्लैब्स में कर का भुगतान कैसे करना है, इसके लिए कुछ महत्वपूर्ण छूट और रिबेट्स भी हैं।
धारा 87ए के तहत रिबेट
इसी बजट में सरकार ने धारा 87ए के तहत टैक्स रिबेट को बढ़ाकर 12 लाख रुपये तक कर दिया है। इसका मतलब यह है कि यदि आपकी वार्षिक आय 12 लाख रुपये या उससे कम है, तो आपको टैक्स रिबेट के तहत अधिकतम 60,000 रुपये तक की छूट मिल सकती है। इस रिबेट का उद्देश्य आयकर की देय राशि को शून्य तक लाना है, विशेष रूप से मध्यमवर्गीय परिवारों को राहत प्रदान करने के लिए।
आइए, एक उदाहरण के माध्यम से इसे समझते हैं
मान लीजिए, किसी व्यक्ति की आय 10 लाख रुपये है। अब, इस पर टैक्स कैसे लागू होगा, इसे समझते हैं:
- 0-4 लाख रुपये: कोई टैक्स नहीं
- 4-8 लाख रुपये: 4 लाख रुपये पर 5% = 20,000 रुपये
- 8-10 लाख रुपये: 2 लाख रुपये पर 10% = 20,000 रुपये
इस प्रकार, कुल टैक्स 20,000 + 20,000 = 40,000 रुपये होगा। लेकिन यदि हम धारा 87ए के तहत रिबेट लागू करें, तो:
रिबेट: 60,000 रुपये की छूट। अब, अगर हम 40,000 रुपये के टैक्स पर रिबेट की छूट लागू करें, तो आपका कुल टैक्स भुगतान शून्य हो जाएगा, यानी आपको टैक्स नहीं देना पड़ेगा।
यह उदाहरण यह स्पष्ट करता है कि 12 लाख रुपये तक की आय पर कोई भी टैक्स नहीं देना पड़ता, भले ही 4-8 लाख रुपये तक की आय पर 5% टैक्स लगाया जाता हो।
4-8 लाख रुपये पर 5% टैक्स क्यों?
अब सवाल उठता है कि जब 12 लाख रुपये तक की आय पर टैक्स नहीं है, तो 4-8 लाख रुपये की आय पर 5% टैक्स क्यों लगाया गया है? इसका जवाब समझने के लिए हमें सरकार के उद्देश्य को देखना होगा।
सरकार ने जो 5% टैक्स की दर तय की है, वह दरअसल एक ब्रिजिंग टैक्स है, जो आय वर्ग के बीच अंतर को संतुलित करने के लिए रखा गया है। 4-8 लाख रुपये की आय वाले लोग पहले के पुराने टैक्स स्लैब्स के तहत अधिक टैक्स देते थे। अब, उन्हें यह राहत दी गई है, और यही कारण है कि इस आय वर्ग पर कम टैक्स दर (5%) लागू की गई है। इससे मध्यम वर्गीय परिवारों को अधिक राहत मिलती है।
सालाना आय के हिसाब से टैक्स कैलकुलेशन का तरीका
हमारे पास एक और उदाहरण है, जिसे समझकर हम इस नीति को और अच्छे से समझ सकते हैं:
- आय: 8 लाख रुपये
- 0-4 लाख रुपये: कोई टैक्स नहीं
- 4-8 लाख रुपये: 4 लाख रुपये पर 5% टैक्स = 20,000 रुपये
लेकिन इस आय पर धारा 87ए के तहत रिबेट मिलने पर टैक्स 0 हो जाएगा। इसका मतलब है कि 8 लाख रुपये तक की आय पर टैक्स नहीं लगेगा।
12 लाख तक की आय पर टैक्स फ्री होने का मतलब
सालाना आय 12 लाख रुपये तक की होने पर टैक्स की जो भी राशि बनती है, वह पूरी तरह से रिबेट के माध्यम से समाप्त हो जाती है। इस तरह से, इनकम टैक्स की धारा 87ए के तहत आपको कोई टैक्स नहीं देना पड़ता। इसके अलावा, जब आप 12 लाख रुपये तक की आय पर रिबेट का फायदा लेते हैं, तो आपको करदाता के रूप में किसी प्रकार का अतिरिक्त बोझ नहीं उठाना पड़ता।
निष्कर्ष:
कुल मिलाकर यह कहा जा सकता है कि 12 लाख रुपये तक की आय पर टैक्स फ्री की व्यवस्था सरकार की ओर से मिडिल क्लास को राहत देने के उद्देश्य से की गई है। हालांकि, 4-8 लाख रुपये की आय पर 5% टैक्स का निर्धारण इस बात को दर्शाता है कि टैक्स स्लैब्स में ब्रिजिंग के रूप में एक संतुलन बनाया गया है, जिससे इनकम टैक्स का भुगतान करने वाले लोग बेहतर तरीके से वित्तीय राहत का अनुभव कर सकें।