श्री कृष्ण के वचन

श्री कृष्ण के वचन

कर्मण्येवाधिकारस्ते मां फलेषु कदाचन। मा कर्मफलहेतुर्भूर्मा ते सङ्गोऽस्त्वकर्मणि॥

हिंदी अर्थ : सबका अधिकार सिर्फ कर्म करने का है, फल की कभी चिंता मत करो. कर्म का फल पाने की इच्छा से मत करो और न ही कर्म न करने का विचार करो.

योगस्थः कर्म कुरु कर्मैवाक्ष फलम्। त्यागी भवत्स्वपाकेषु देवत्वाभिविवाशः॥

हिंदी अर्थ : योग में स्थित होकर कर्म करो और कर्म के फल को छोड़ दो. सफलता या असफलता में सम रहो और ईश्वर की इच्छा को स्वीकार करो.

न हि कर्मणो न च सङ्कल्पस्य हुतश्वः । न मौनस्य न च जपस्य न च दानस्य । न च स्वाध्यायस्य न च हुतस्य । वर्तेतैव सफलम् क्रिया॥

हिंदी अर्थ : केवल कर्म करने से, संकल्प करने से, मौन रहने से, जप करने से, दान देने से, स्वाध्याय करने से या यज्ञ करने से ही सफलता नहीं मिलती. बल्कि लगातार कोशिश करते रहना ही सफलता का मूल मंत्र है.

उद्यमेन हि सिध्यन्ति कार्याणि न मनोरथैः । न हि कश्चित् पुरुषः कार्यं सिद्ध्यति न चिन्तायां ॥

हिंदी अर्थ : केवल कल्पनाओं से काम नहीं बनते हैं. सिर्फ सोचने से कोई कार्य सिद्ध नहीं होता. सफलता के लिए लगातार प्रयास करना ज़रूरी है.