बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (BSE) और नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (NSE) जैसे प्रमुख भारतीय स्टॉक मार्केट इंडेक्स इस समय लगातार गिरावट का सामना कर रहे हैं। 19 दिसंबर 2024 को, सेंसैक्स में लगभग 900 पॉइंट्स की गिरावट आई, जिससे निवेशकों को भारी नुकसान हुआ। पिछले चार दिनों में भारतीय शेयर बाजार में लगभग ₹13 लाख करोड़ का नुकसान हुआ है। इस लेख में हम समझेंगे कि आज के स्टॉक मार्केट क्रैश के पीछे 5 प्रमुख कारण क्या हैं और ये क्यों हो रहा है।
1. अमेरिकी फेड रिजर्व का रेट कट फैसला
अमेरिका का फेडरल रिजर्व (Fed) दुनिया के सबसे बड़े आर्थिक फैसले लेने वाली संस्थाओं में से एक है। हाल ही में 18 दिसंबर 2024 को फेडरल रिजर्व ने अपने बेंचमार्क इंटरेस्ट रेट को 25 बेसिस पॉइंट्स (0.25%) कम करने का फैसला लिया। यह कदम बाजार की उम्मीदों के अनुसार था, लेकिन फेड द्वारा भविष्य में रेट कट के बारे में किए गए बयान ने दुनियाभर के शेयर बाजारों में बेचैनी पैदा कर दी। फेड ने संकेत दिया कि आने वाले वर्षों में रेट कट की रफ्तार धीमी हो सकती है, जिससे निवेशकों का भरोसा कमजोर हुआ और शेयर बाजारों में बिकवाली का सिलसिला शुरू हो गया। इस फैसले के बाद अमेरिकी डॉलर मजबूत हुआ, और सारा एशियाई बाजार गिरावट में चला गया।
2. विदेशी निवेशकों का भारतीय बाजार से बाहर निकलना
इस समय भारतीय शेयर बाजार में विदेशी निवेशकों (Foreign Institutional Investors – FIIs) का भारी बिकवाली का दबाव देखा जा रहा है। पिछले तीन दिनों में विदेशी निवेशकों ने ₹8,000 करोड़ से अधिक की भारतीय शेयरों की बिकवाली की है। इसका कारण अमेरिकी डॉलर की मजबूती, बढ़ती बॉन्ड यील्ड और फेड द्वारा रेट कट के संदर्भ में कम उम्मीदें हैं। जब विदेशी निवेशक भारतीय बाजार से अपना पैसा निकालते हैं, तो इसका नकारात्मक असर बाजार पर पड़ता है, क्योंकि इससे शेयरों की कीमतें गिरती हैं और बाजार में अस्थिरता बढ़ती है।
3. रुपये की ऐतिहासिक गिरावट
19 दिसंबर 2024 को भारतीय रुपये ने एक और ऐतिहासिक रिकॉर्ड तोड़ा और 85.3 रुपये प्रति डॉलर पर पहुंच गया। रुपये की यह कमजोरी भारतीय बाजारों के लिए एक गंभीर समस्या है। जब रुपये की वैल्यू गिरती है, तो विदेशी निवेशकों को निवेश करने में कम आकर्षण मिलता है, क्योंकि उन्हें अपनी घरेलू करेंसी में रूपये को बदलने पर नुकसान होता है। इसके अलावा, रुपये की कमजोरी महंगाई को भी बढ़ाती है, क्योंकि आयातित वस्तुएं महंगी हो जाती हैं। इससे मुद्रास्फीति में वृद्धि होती है, जो भविष्य में महंगे ब्याज दरों को जन्म देती है, और यह बाजार के लिए एक और नकारात्मक संकेत है।
4. मैक्रोइकॉनॉमिक समस्याएं
भारत की अर्थव्यवस्था में कुछ महत्वपूर्ण समस्याएं उत्पन्न हो रही हैं, जो स्टॉक मार्केट की स्थिति को प्रभावित कर रही हैं। नवंबर 2024 में भारत का व्यापार घाटा (trade deficit) रिकॉर्ड स्तर तक बढ़ गया। व्यापार घाटा, यानी आयात और निर्यात के बीच का अंतर, नवंबर में $37.84 बिलियन तक पहुंच गया, जो उम्मीदों से बहुत अधिक था। इसके अलावा, भारतीय अर्थव्यवस्था का विकास भी धीमा पड़ रहा है। देश की GDP (Gross Domestic Product) का आंकड़ा पिछले दो वर्षों के सबसे कम स्तर पर पहुंच चुका है, और तिमाही दर तिमाही वृद्धि में लगातार गिरावट देखी जा रही है। ये सभी कारक बाजार के लिए नकारात्मक संकेत बन रहे हैं।
5. कंपनियों के मुनाफे में कमजोरी और भविष्य की अनिश्चितता
भारत के बड़े उद्योगों और कंपनियों के मुनाफे में गिरावट देखी जा रही है, और आने वाले तिमाहियों में स्थिति सुधारने की संभावना कम है। भारतीय कंपनियों ने Q1 और Q2 में कमजोर प्रदर्शन किया है, और अब दिसंबर तिमाही (Q3) के परिणामों पर सभी की नजरें हैं। हालांकि, विशेषज्ञों का मानना है कि वित्तीय वर्ष 2025 के चौथे क्वार्टर में मुनाफे में सुधार हो सकता है, लेकिन अभी तक जो आंकड़े सामने आए हैं, उनसे यह स्पष्ट नहीं है कि मुनाफे में तेजी से सुधार होगा। अगर कंपनियों का मुनाफा बढ़ने में देर होती है, तो यह भारतीय शेयर बाजार के लिए एक और नकारात्मक कारक हो सकता है।
निष्कर्ष
भारतीय शेयर बाजार में इन सभी कारकों के चलते निरंतर गिरावट आ रही है। अमेरिकी फेड रिजर्व का रेट कट निर्णय, विदेशी निवेशकों का बाजार से बाहर निकलना, रुपये की कमजोरी, आर्थिक समस्याएं और कंपनियों के कमजोर मुनाफे ने मिलकर बाजार की स्थिति को नकारात्मक बना दिया है। ऐसे समय में निवेशकों को धैर्य बनाए रखना जरूरी है और उन निवेशकों को सलाह दी जाती है जो नुकसान से बचने के लिए बाजार से बाहर निकलने का सोच रहे हैं, उन्हें दीर्घकालिक निवेश की रणनीति अपनानी चाहिए।
स्टॉक मार्केट की अस्थिरता के बीच, भारतीय बाजार में आने वाले दिनों में सुधार की संभावना हो सकती है, लेकिन इसके लिए समय और सतर्कता की जरूरत होगी।